Read some where the Hindi translation of very interesting poem of Marx .So many year back I have read the poem in a hindi magazine but every time when I read it I feel it is new & inspire me always.
I am not a communist or supporter of Marx but his view of thinking is amazing .I like this poem most thats why posting it here .
कठिनाइयों से रीता जीवन
मेरे लिए नहीं,
नहीं, मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नहीं।
मुझे तो चाहिए एक महान ऊंचा लक्ष्य
और उसके लिए उम्र भर संघर्षों का अटूट क्रम।
ओ कला! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोषों के द्वार
मेरे लिए खोल!
अपनी प्रज्ञा और संवेगों के आलिंगन में
अखिल विश्व को बांध लूंगा मैं!
आओ,
हम बीहड़ और कठिन सुदूर यात्रा पर चलें
आओ, क्योंकि -
छिछला, निरुद्देश्य और लक्ष्यहीन जीवन
हमें स्वीकार नहीं।
हम, ऊंघते कलम घिसते हुए
उत्पीड़न और लाचारी में नहीं जियेंगे।
हम - आकांक्षा, आक्रोश, आवेग, और
अभिमान में जियेंगे!
असली इन्सान की तरह जियेंगे